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एक खुबसूरत सफर : शिमला

Updated: Sep 12, 2021



शिमला का पहला दिन

 

शिमला जो को हिमाचल प्रदेश की राजधानी है और इसकी खूबसूरती को बयाँ करना थोडा मुश्किल है बस इतना समझिये की ये एक बहुत ही खुबसूरत हिल स्टेशन है | शिमला के पहाड़ो की खूबसूरती जो की,आपको शिमला में ही मिलेगी | अब मैं आपको बताता हु की मेरा पहला शिमला का ट्रिप कैसा रहा और और शिमला का प्लान कैसे बना |

मैं दिल्ली में रहता हु और यहाँ से शिमला जाने के लिए बस आसानी से मिल जाती है लेकिन नहीं मैंने बस से प्लान नही किया था बाइक से जाने का प्लान था तो हुवा कुछ ऐसा की मेरे कुछ दोस्त लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पंजाब मे पढ़ते थे तो वहा के दोस्तों से बात हुई की चला जाए उन्होंने भी हां बोल दिया फिर क्या था मैं और मेरा एक दिल्ली का दोस्त निकल पड़े दिल्ली के कश्मीरी गेट से, रात में जालंधर की बस और आठ घंटे में जालंधर | अगले दिन प्लान हुवा की बाइक से चलेंगे और फिर क्या था

बाइक रेंट पर उठाये और निकल लिए शिमला की तरफ |





बाइक तीन और जाने वाले छह लोग बस फिर क्या था आठ बजे जालंधर से निकले और सुबह के पांच बजे शिमला की पहाड़ो पर थे | अरे रुकिए-रुकिए, आपको क्या लगा हम बाइक से इतनी आसानी से आ गये ? नही ऐसा नहीं था |

जब हम बाइक हायर कर रहे थे तो हुवा कुछ यु की बुलेट से जाने जा प्लान था लेकिन हमने प्लान बनाने में लेट कर दिया और बुलेट एक भी नही मिली फिर जो मिला उसी से निकले|

न ग्लव्स था और न ही कुछ ऐसा जिससे इस ठंढ से बचते हुवे जाया जा सके | ओह्ह मैंने ये तो बताया ही नही की हम शिमला ठण्ड के समय में गए थे | ठण्ड में बाइक से बिना ग्लव्स के शिमला जाना कैसा रहा होगा आप भी शायद समझ सके ?

लेकिन हमें किसी भी हालत में जाना था और हम गये शर्ट के अन्दर पेपर और पैंट के अन्दर घुटने पर पेपर सही ने लगाया और निकल पड़े| बस रास्ते भर अगर किसी की सबसे ज्यादा कमी खली तो वो था ग्लव्स | एक सेट था ग्लव्स का लेकिन बाइक चलाने वाले तीन लोग थे तो जैसे-तैसे काम चला कर बढे जा रहे थे कभी मैं एक हाथ का ग्लव्स लगाता तो कभी दूसरी हाथ का, कभी दोनों ही नही लगता क्युकि दोस्त भी तो थे न | मन तो नही करता था ग्लव्स देने का लेकिन उनकी हालत देख के दे देता था रास्ते में तय होता की अब कम से कम दस किलोमीटर जाने के बाद ही बाइक कही रोकी जायेगी लेकिन ठण्ड इतनी की हर एक से दो किलोमीटर पर रुक के हाथ गरम करना पड़ता कही चाय दिख जाए तो बाइक से उतारते ही चाय की तरफ भागो |

ऐसे ही कर के सुबह पांच बजे शिमला की पहाड़ो पर पहुच गए थे | सारी ठण्ड तो तब दूर हो गयी जब मैंने पहाड़ो के पीछे से सूर्य को निकलते हुवे देखा| पहाड़ो के पीछे से वो लाल लाल किरणों ने मुझे बहुत सुकून दिया वो नज़ारा मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा था | पहले आप भी देखिये उस नज़ारे को |




फिर क्या था थोड़ी देर रुके यहाँ फिर आगे मॉल रोड की तरफ कूच किया गया मॉल रोड पहुच के होटल ढूढा गया और फिर क्या बस थोड़ा सा आराम |

मॉल रोड पास में ही था तो आराम करने के बाद सोचे की आज यही आस-पास घूम लेते है और कल, जो भी दूर की जगह होगी घुमा जायेगा| फिर निकल पड़े मॉल रोड की खूबसूरती देखने | मॉल रोड से पहाड़ो का नज़ारा भी गजब था |





ठण्ड से हालत इतनी ख़राब थी की चेहरा एक दम मुरझा सा गया था उस दिन सिर्फ मॉल रोड घुमे और फिर रात हो गयी |

रात का मॉल रोड का नज़ारा बहुत ही जबरजस्त होता है आप शिमला गए और शिमला के मॉल रोड को नहीं घुमा तो आपने कुछ नहीं घुमा यहाँ दिन की खूबसूरती तो दिखती ही है लेकिन रात को यहाँ की लाइटस मॉल रोड में चार चाँद लगाने का काम करती है इसीलिए आप शिमला जाए तो वह मॉल रोड जरुर घुमे |





अगले दिन की कहानी बताएँगे अगले ब्लॉग में आप जुड़े रहिये मेरे साथ मैं आपको पूरा भारत घुमाऊंगा अपने ब्लॉग से |


Thankyou


 
 
 

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